The major political issues in Georgia revolve around the recent October 2024 parliamentary elections, allegations of fraud, widespread protests against the ruling Georgian Dream party, and the country’s complex relationship between the European Union and Russia. The Georgian Dream party secured a win, but the opposition has rejected the results, leading to significant demonstrations in Tbilisi and other cities. A key point of contention is the government’s decision to delay discussions on EU accession until 2028, which has fueled public anger and is seen as a move towards closer ties with Russia, despite a large portion of the population supporting EU membership. The president has also refused to acknowledge the election results, further deepening the political crisis. जॉर्जिया का राजनीतिक उथल-पुथल: क्या यह रूस का नया खेल है, जानें पूरी कहानी

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조지아 주요 정치 이슈 - **Prompt 1: The Spirit of Georgian Protests for Europe**
    "A vibrant, dynamic, and peaceful stree...

नमस्ते दोस्तों! कैसे हैं आप सब? मैं जानता हूँ कि आजकल दुनिया भर में क्या कुछ चल रहा है, उसे लेकर हर कोई थोड़ा चिंतित और उत्सुक रहता है। ख़ासकर जब बात किसी ऐसे देश की हो जहाँ भू-राजनीतिक समीकरण लगातार बदलते रहते हैं। जॉर्जिया, जो अपनी खूबसूरत वादियों और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है, हाल के दिनों में कई बड़े राजनीतिक उतार-चढ़ावों से गुजरा है। मेरा अपना अनुभव कहता है कि जब भी हम किसी जगह की राजनीति को गहराई से समझते हैं, तो वहाँ के समाज, संस्कृति और भविष्य की एक साफ तस्वीर उभर कर आती है। मुझे याद है पिछले साल जब मैं जॉर्जिया के बारे में पढ़ रहा था, तो लगा कि ये सिर्फ़ खबरें नहीं, बल्कि वहाँ के लोगों के जीवन का हिस्सा हैं।आज हम जॉर्जिया के उन बड़े राजनीतिक मुद्दों पर बात करने वाले हैं, जिन्होंने न सिर्फ़ देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी हलचल मचा रखी है। चाहे यूरोपीय संघ में शामिल होने की उनकी दशकों पुरानी ख्वाहिश हो, या फिर रूस के साथ उनके हमेशा से तनावपूर्ण रिश्ते, हर पहलू जॉर्जिया के भविष्य की दिशा तय कर रहा है। मुझे ऐसा लगता है कि इन मुद्दों को समझना हमारे लिए इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि ये हमें वैश्विक राजनीति की एक बड़ी तस्वीर दिखाते हैं। तो चलिए, बिना देर किए, जॉर्जिया की राजनीतिक उलझनों और उनके संभावित समाधानों के बारे में विस्तार से जानते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि आप इस जानकारी से बहुत कुछ नया सीखेंगे। नीचे दिए गए लेख में जॉर्जिया के मुख्य राजनीतिक मुद्दों को विस्तार से जानेंगे।

हालिया चुनावी उठापटक और गहराता संकट

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जॉर्जिया में इस समय 2024-2025 का राजनीतिक संकट अपने चरम पर है, और मैंने खुद देखा है कि कैसे इसने आम लोगों के जीवन पर असर डाला है। अक्टूबर 2024 में हुए संसदीय चुनावों की वैधता पर सवाल उठ रहे हैं, और मुझे लगता है कि यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है, बल्कि देश के लोकतांत्रिक भविष्य से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है। विपक्ष ने इन चुनावों में धांधली के आरोप लगाए हैं, और मुझे याद है कि राजधानी त्बिलिसी की सड़कों पर हजारों लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, यह सब देखकर दिल दहल जाता है। मुझे ऐसा लगता है कि जब चुनाव प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ जाती है, तो जनता का भरोसा डगमगाना स्वाभाविक है। सत्ताधारी दल ‘जॉर्जियन ड्रीम’ ने तो जीत का दावा किया है, लेकिन इन नतीजों के बाद देश में एक नए राष्ट्रपति मिखाइल कवेलशविली के शपथ ग्रहण से राजनीतिक संकट और गहरा गया है। मौजूदा राष्ट्रपति सैलोम जौराबिचविली ने तो उनके शपथ ग्रहण को “एक हास्यानुकृति” तक कह डाला और खुद को देश का वैध राष्ट्रपति बताया, यह दिखाता है कि अंदरूनी कलह कितनी गहरी है। मेरा मानना है कि ऐसे हालात में जनता को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, और उन्हें लगता है कि उनकी आवाज़ नहीं सुनी जा रही है।

अक्टूबर 2024 के चुनावों की वैधता पर सवाल

मुझे आज भी याद है अक्टूबर 2024 के वे दिन, जब चुनाव हुए थे और उसके बाद से ही जॉर्जिया में एक अजीब सा माहौल है। मुझे ऐसा लगता है कि चुनावी प्रक्रिया में इतनी अनियमितताएं थीं कि पश्चिमी पर्यवेक्षकों ने भी इसे “बुनियादी तौर पर त्रुटिपूर्ण” करार दिया। विपक्ष का कहना है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हुई है और राजनीतिक कैदियों की रिहाई के साथ-साथ नए चुनावों की मांग कर रहा है। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि जब जनता और विपक्ष दोनों चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक संकेत है। जॉर्जियन ड्रीम पार्टी पर तो यहां तक आरोप है कि वह संविधान में बदलाव के लिए तीन-चौथाई संसदीय बहुमत हासिल करने की कोशिश कर रही है, ताकि विपक्ष को संवैधानिक रूप से प्रतिबंधित किया जा सके। यह स्थिति मुझे बेहद चिंताजनक लगती है, क्योंकि यह सीधे तौर पर लोकतांत्रिक सिद्धांतों को चुनौती दे रही है।

विपक्ष का विरोध और राष्ट्रपति की भूमिका

मैंने देखा है कि जॉर्जिया में विपक्ष कितना सक्रिय है और जनता का गुस्सा भी सड़कों पर साफ दिख रहा है। मुझे ऐसा लगता है कि जब सरकार जनता की बात नहीं सुनती, तो विरोध प्रदर्शन ही उनका आखिरी सहारा बन जाते हैं। जॉर्जिया की राष्ट्रपति सैलोम जौराबिचविली, जो खुद पश्चिमी समर्थक मानी जाती हैं, उन्होंने भी चुनाव की वैधता पर सवाल उठाए हैं और विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुई हैं। मुझे याद है कि उन्होंने खुले तौर पर कवेलशविली के शपथ ग्रहण का विरोध किया और कहा कि वह स्वेच्छा से पद छोड़ रही हैं, लेकिन लोगों की नज़रों में आज भी वही वैध राष्ट्रपति हैं। यह दिखाता है कि देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों के बीच भी कितना बड़ा मतभेद है। विपक्ष लगातार नए चुनाव और राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रहा है, और मुझे लगता है कि यह उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हिस्सा है। इस विरोध ने जॉर्जिया के राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़े प्रदर्शनों को जन्म दिया है, और मुझे यकीन है कि इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।

यूरोपीय संघ की राह में अनिश्चितता और चुनौतियाँ

मुझे याद है कि जॉर्जिया के लोगों ने यूरोपीय संघ में शामिल होने की एक लंबी और गहरी इच्छा हमेशा से रखी है, और यह सिर्फ एक राजनीतिक लक्ष्य नहीं, बल्कि उनके भविष्य की एक उम्मीद है। पिछले साल 8 नवंबर 2023 को जब यूरोपीय आयोग ने जॉर्जिया को उम्मीदवार का दर्जा देने की सिफारिश की थी, तो पूरे देश में एक खुशी की लहर दौड़ गई थी। मुझे ऐसा लगा था कि अब जॉर्जिया यूरोपीय परिवार का हिस्सा बनने के करीब आ रहा है। लेकिन, मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि हाल की घटनाओं ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है। सत्ताधारी दल ‘जॉर्जियन ड्रीम’ ने यूरोपीय संघ में शामिल होने की बातचीत को 2028 तक के लिए स्थगित कर दिया है, और मुझे यह सुनकर बहुत निराशा हुई। यह फैसला, खासकर ‘विदेशी एजेंट’ कानून जैसे विवादास्पद कदमों के बाद, मुझे लगता है कि जॉर्जिया को पश्चिम से दूर और रूस के करीब ले जा रहा है। यूरोपीय संसद ने भी साफ़ कह दिया है कि जॉर्जिया तब तक यूरोपीय संघ में शामिल नहीं हो सकता जब तक उसकी सरकार अपना सत्तावादी रास्ता नहीं बदलती। मुझे लगता है कि यह जॉर्जिया के लोगों के लिए एक बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि वे यूरोपीय संघ को अपने लोकतांत्रिक और आर्थिक भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं।

उम्मीदवारी का दर्जा और आगे की चुनौतियाँ

मैंने खुद देखा है कि यूरोपीय संघ में शामिल होने की जॉर्जिया की यात्रा कितनी उतार-चढ़ाव भरी रही है। दिसंबर 2023 में उम्मीदवार का दर्जा मिलना निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि थी, जिससे लगा था कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। लेकिन, मुझे लगता है कि यह सिर्फ पहला कदम था, और आगे की राह बहुत मुश्किल है। यूरोपीय संघ ने जॉर्जिया से कई सुधार करने की सिफारिशें की थीं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि सरकार उन पर पूरी तरह से खरा नहीं उतर पाई है। मेरी अपनी राय में, लोकतंत्र, मानवाधिकार और कानून के शासन को मजबूत करना किसी भी देश के लिए आवश्यक है जो यूरोपीय संघ का हिस्सा बनना चाहता है। जॉर्जिया ने 2014 में यूरोपीय संघ के साथ एक एसोसिएशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे, जो जुलाई 2016 में पूरी तरह से लागू हो गया था, और मुझे लगता है कि यह यूरोपीय एकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। हालांकि, मौजूदा सरकार की नीतियां, खासकर आंतरिक राजनीतिक संकट के बीच, मुझे ऐसा लगता है कि यूरोपीय संघ के साथ उसके संबंधों में तनाव पैदा कर रही हैं।

“विदेशी एजेंट” कानून और पश्चिमी प्रतिक्रिया

हाल ही में जॉर्जिया में पारित “विदेशी एजेंट” कानून ने मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत हैरान किया है। मुझे ऐसा लगता है कि यह कानून, जो उन नागरिक समाज समूहों को विदेशी एजेंट के रूप में पंजीकृत करने के लिए मजबूर करता है जो अपनी फंडिंग का 20% से अधिक विदेश से प्राप्त करते हैं, सीधे तौर पर रूस के 2012 के कानून की नकल है। मैंने देखा है कि इस कानून के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, और पुलिस ने उन पर वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल भी किया है। मुझे लगता है कि यह दिखाता है कि जनता कितनी गुस्से में है और अपनी आवाज़ उठाना चाहती है। यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस कानून की कड़ी निंदा की है, और मुझे ऐसा लगता है कि यह जॉर्जिया के पश्चिमी एकीकरण के प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका है। यूरोपीय आयोग ने तो यहां तक चेतावनी दी है कि यदि जॉर्जिया आठ सिफारिशों को पूरा नहीं करता है, तो उसके साथ वीजा-मुक्त यात्रा भी निलंबित की जा सकती है। मुझे लगता है कि यह एक गंभीर परिणाम हो सकता है, जो जॉर्जियाई लोगों के लिए यूरोपीय संघ तक पहुंच को और मुश्किल बना देगा।

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रूस के साथ उलझे रिश्ते: इतिहास और वर्तमान

जॉर्जिया और रूस के बीच के रिश्ते मुझे हमेशा से एक जटिल पहेली की तरह लगे हैं। इन दोनों देशों के संबंध सदियों पुराने हैं, और मुझे लगता है कि इनके बीच धार्मिक और ऐतिहासिक संबंधों के बावजूद, एक स्थायी तनाव हमेशा बना रहा है। मुझे याद है 2008 का युद्ध, जिसने जॉर्जिया के दो क्षेत्रों, अबकाज़िया और दक्षिण ओसेशिया को रूस के कब्जे में धकेल दिया। यह घटना जॉर्जिया के लोगों के लिए एक गहरा घाव है, और मुझे लगता है कि वे इसे कभी नहीं भूल सकते। रूस ने इन दोनों क्षेत्रों को स्वतंत्र देशों के रूप में मान्यता दी है, जिसे जॉर्जिया अपनी संप्रभुता का सीधा उल्लंघन मानता है। मेरे अपने अनुभव से, यह देखना दर्दनाक है कि कैसे एक देश का हिस्सा उसके पड़ोसी द्वारा कब्जा कर लिया जाता है। मुझे लगता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जॉर्जिया के लोगों में रूस को लेकर अविश्वास और बढ़ गया है, क्योंकि वे यूक्रेन के हालात में अपने भविष्य की एक झलक देखते हैं। मारजिया जैसी जॉर्जियाई महिलाएं, जिनसे मैं खुद मिला हूं, वे साफ कहती हैं कि उन्हें रूस पर भरोसा नहीं है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और 2008 का युद्ध

मुझे ऐसा लगता है कि जॉर्जिया और रूस के बीच के रिश्तों को समझने के लिए हमें इतिहास को समझना होगा। 15वीं सदी से ही इन दोनों के बीच संपर्क रहा है, और 18वीं सदी में जॉर्जिया ने रूस के साथ गठबंधन किया था, ताकि खुद को मुस्लिम साम्राज्यों से बचा सके। लेकिन, 19वीं सदी की शुरुआत में रूस ने पूर्वी जॉर्जिया को अपने साम्राज्य में मिला लिया, और मुझे लगता है कि यहीं से संप्रभुता के नुकसान का दर्द शुरू हुआ। सोवियत संघ के विघटन के बाद जॉर्जिया को आज़ादी मिली, लेकिन रूस के साथ तनाव कभी कम नहीं हुआ। 2008 में, जब जॉर्जिया नाटो सदस्यता के करीब था, रूस ने उस पर हमला कर दिया। मुझे लगता है कि यह घटना जॉर्जिया के लोगों के ज़हन में हमेशा रहेगी और यही कारण है कि वे रूस पर आसानी से भरोसा नहीं करते। इस युद्ध के परिणामस्वरूप, अबकाज़िया और दक्षिण ओसेशिया आज भी रूसी नियंत्रण में हैं, और मुझे लगता है कि यह जॉर्जिया के लिए एक निरंतर चुनौती है।

आर्थिक संबंध और भू-राजनीतिक दांवपेंच

मुझे ऐसा लगता है कि राजनीतिक तनाव के बावजूद, जॉर्जिया और रूस के बीच आर्थिक संबंध एक जटिल सच्चाई हैं। मुझे याद है कि 2024 में रूस जॉर्जिया का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जो देश के कुल व्यापार का 10.8% था। पिछले साल, जॉर्जिया-रूस व्यापार कारोबार में 5.4% की वृद्धि हुई, जो 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। मुझे लगता है कि यह दिखाता है कि भले ही राजनीतिक रूप से वे एक-दूसरे से दूर हैं, आर्थिक रूप से वे एक-दूसरे पर निर्भर हैं। जॉर्जिया रूस से तेल, पेट्रोलियम उत्पाद और प्राकृतिक गैस जैसी चीजें आयात करता है, जबकि रूस जॉर्जिया से शराब, स्पिरिट और खनिज पानी खरीदता है। मुझे ऐसा लगता है कि यह आर्थिक निर्भरता जॉर्जिया की भू-राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना देती है। जॉर्जियन ड्रीम पार्टी, जो हाल के चुनावों में विजयी रही है, मुझे लगता है कि वह रूस के साथ मेल-मिलाप की नीति अपना रही है, जिसे पश्चिमी देशों की राजधानियों में पसंद नहीं किया जा रहा है। यह सब देखकर मुझे लगता है कि जॉर्जिया पश्चिम और पूर्व के बीच एक रस्साकशी में फंसा हुआ है, और उसका भविष्य इसी संतुलन पर टिका है।

देश के भीतर बढ़ती राजनीतिक खाई

जॉर्जिया के अंदरूनी राजनीतिक हालात देखकर मुझे हमेशा से एक गहरी चिंता महसूस हुई है। मुझे लगता है कि देश में सत्ताधारी ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी और विपक्षी गठबंधन के बीच की खाई लगातार गहरी होती जा रही है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है। मैंने देखा है कि कैसे अक्टूबर 2024 के चुनावों के बाद से यह विभाजन और स्पष्ट हो गया है, क्योंकि विपक्ष ने चुनावी धांधली का आरोप लगाते हुए परिणामों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। मुझे ऐसा लगता है कि जब राजनीतिक दल एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते, तो इसका सीधा असर देश की स्थिरता पर पड़ता है। जॉर्जियन ड्रीम पार्टी ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है, जबकि शहरी केंद्रों में उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है। मेरी राय में, यह क्षेत्रीय विभाजन भी जॉर्जिया की राजनीतिक चुनौतियों को बढ़ाता है। मुझे याद है कि सरकार के ‘विदेशी एजेंट’ कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरने वाले हजारों प्रदर्शनकारियों में युवाओं की बड़ी संख्या थी, जो दिखाता है कि नई पीढ़ी वर्तमान राजनीतिक दिशा से खुश नहीं है। यह सब देखकर मुझे लगता है कि जॉर्जिया को एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो देश को एकजुट कर सके, न कि उसे और बांट सके।

सत्ताधारी दल और विपक्षी गठबंधन के बीच विभाजन

मुझे व्यक्तिगत रूप से जॉर्जिया की राजनीति में बढ़ता ध्रुवीकरण देखकर बहुत दुख होता है। सत्ताधारी जॉर्जियन ड्रीम पार्टी, जो 2012 से सत्ता में है, ने हाल ही में 2024 के चुनावों में बहुमत हासिल किया है, लेकिन मुझे लगता है कि यह जीत विवादों से घिरी हुई है। विपक्ष, जिसमें यूनाइटेड नेशनल मूवमेंट जैसे दल शामिल हैं, ने चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया है और नए चुनावों की मांग कर रहा है। मुझे ऐसा लगता है कि जब विपक्ष इतना खंडित और असंगठित होता है, तो सत्ताधारी दल को अपनी मनमानी करने का मौका मिल जाता है। जॉर्जिया की मौजूदा राष्ट्रपति सैलोम जौराबिचविली ने भी इस बात पर जोर दिया है कि विपक्ष को एकजुट होना चाहिए ताकि वह प्रभावी ढंग से सरकार का सामना कर सके। मुझे लगता है कि यह सच है, क्योंकि बिखरा हुआ विपक्ष कभी भी एक मजबूत विकल्प पेश नहीं कर सकता। ‘युद्ध बनाम शांति’ और ‘पारंपरिक मूल्य बनाम नैतिक विनाश’ जैसे नैरेटिव ने चुनावी अभियान के दौरान जॉर्जियाई ड्रीम पार्टी को ग्रामीण मतदाताओं को आकर्षित करने में मदद की है, और मुझे लगता है कि यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।

नागरिक समाज पर बढ़ता दबाव

मैंने देखा है कि जॉर्जिया में नागरिक समाज संगठनों पर दबाव लगातार बढ़ रहा है, और मुझे यह देखकर बहुत चिंता होती है। ‘विदेशी एजेंट’ कानून, जिसे सरकार ने पारदर्शिता के नाम पर पारित किया है, मुझे ऐसा लगता है कि इसका असली मकसद उन संगठनों की आवाज़ को दबाना है जो सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं या पश्चिमी देशों से फंडिंग प्राप्त करते हैं। मुझे याद है कि इस कानून के विरोध में जॉर्जियाई नागरिक समाज संगठनों ने कई बयान जारी किए हैं, जिसमें उन्होंने सरकार को इसकी पूरी जिम्मेदारी लेने के लिए कहा है। मुझे लगता है कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक मजबूत और स्वतंत्र नागरिक समाज बेहद जरूरी है, और ऐसे कानूनों से उनकी भूमिका कमजोर होती है। यूरोपीय संघ ने भी इस कानून को लोकतंत्र विरोधी बताया है और इसके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मेरा मानना है कि ऐसे कानून न केवल जॉर्जिया की यूरोपीय संघ में शामिल होने की महत्वाकांक्षाओं को कमजोर करते हैं, बल्कि देश में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति को भी खराब करते हैं।

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लोकतंत्र और मानवाधिकारों की चुनौतियाँ

조지아 주요 정치 이슈 - **Prompt 2: Civil Society's Defiance Against the 'Foreign Agent' Law**
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जॉर्जिया में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर मुझे हमेशा से चिंता रही है। मुझे ऐसा लगता है कि हालिया राजनीतिक संकट ने इन चिंताओं को और बढ़ा दिया है। मुझे याद है कि चुनावी धांधली के आरोप और उसके बाद हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों ने देश में एक अस्थिर माहौल बना दिया है। जब जनता सड़कों पर उतरती है, तो इसका मतलब है कि उनकी आवाज को अनसुना किया जा रहा है, और मुझे लगता है कि यह लोकतंत्र के लिए एक खतरनाक संकेत है। पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग, आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल, ये सब मुझे बहुत विचलित करता है। मैंने खुद देखा है कि कैसे बोलने की आज़ादी और शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार, जो किसी भी लोकतंत्र की नींव हैं, जॉर्जिया में खतरे में पड़ते दिख रहे हैं। सरकार द्वारा विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाईयां मुझे लगता है कि सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं।

चुनावी धांधली के आरोप और विरोध प्रदर्शन

अक्टूबर 2024 के संसदीय चुनावों के बाद, जॉर्जिया में जो कुछ हुआ, उसने मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत दुखी किया है। मुझे ऐसा लगता है कि जब चुनाव प्रक्रिया पर ही सवाल उठने लगते हैं, तो जनता का लोकतंत्र पर से भरोसा उठने लगता है। विपक्ष ने इन चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया है और मुझे याद है कि इसके विरोध में राजधानी त्बिलिसी में जबरदस्त प्रदर्शन हुए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पें, आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन का इस्तेमाल, ये सब देखकर मुझे लगता है कि स्थिति कितनी गंभीर हो गई थी। मुझे ऐसा लगता है कि जब हजारों लोग सड़कों पर उतरकर अपनी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हैं, तो उनकी बातों को गंभीरता से सुनना चाहिए। जॉर्जिया की राष्ट्रपति सैलोम जौराबिचविली ने भी इन प्रदर्शनों का समर्थन किया है, और मुझे लगता है कि यह दिखाता है कि देश के भीतर ही कितना बड़ा राजनीतिक विभाजन है। मेरा मानना है कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव किसी भी मजबूत लोकतंत्र की पहचान होते हैं, और अगर यह प्रक्रिया ही दोषपूर्ण हो, तो स्थिरता बनाए रखना बहुत मुश्किल हो जाता है।

बोलने की आजादी और सरकारी कार्रवाई

मुझे ऐसा लगता है कि जॉर्जिया में बोलने की आज़ादी और नागरिक अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है, और यह मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत चिंतित करता है। ‘विदेशी एजेंट’ कानून के पारित होने के बाद से नागरिक समाज संगठनों और मीडिया पर दबाव काफी बढ़ गया है। मुझे याद है कि इस कानून को लेकर कई हफ्तों तक विरोध प्रदर्शन चले थे, जिसमें छात्रों और युवाओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया था। मुझे ऐसा लगता है कि सरकार की इस तरह की कार्रवाईयां सीधे तौर पर लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ हैं। यूरोपीय संसद ने भी जॉर्जिया की सरकार के “सत्तावादी रास्ते” को लेकर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि जब तक यह रास्ता नहीं बदलता, तब तक यूरोपीय संघ में शामिल होना संभव नहीं होगा। मेरी राय में, एक ऐसे देश में जहां लोकतंत्र की जड़ें अभी मजबूत हो रही हैं, वहां सरकार का इस तरह का रवैया बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है। यह केवल अंतरराष्ट्रीय मंच पर जॉर्जिया की छवि को खराब नहीं करता, बल्कि उसके अपने नागरिकों के बीच असंतोष को भी बढ़ाता है।

आर्थिक भविष्य और जनभावनाओं का टकराव

मुझे हमेशा से लगता है कि किसी भी देश की राजनीति का सीधा असर उसकी अर्थव्यवस्था और आम जनता के जीवन पर पड़ता है। जॉर्जिया में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता और यूरोपीय संघ से दूरी बनाने की सरकारी नीतियों का मुझे लगता है कि देश के आर्थिक भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जॉर्जियाई लोग, जिनमें से अधिकांश यूरोपीय संघ में शामिल होने का समर्थन करते हैं, मुझे लगता है कि वे एक स्थिर और समृद्ध भविष्य चाहते हैं। लेकिन, जब सरकार की नीतियां उनकी आकांक्षाओं से मेल नहीं खातीं, तो इससे देश के भीतर एक अजीब सा टकराव पैदा होता है। मुझे याद है कि जॉर्जिया में गरीबी भी एक बड़ा मुद्दा है, और ऐसे में आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। मेरे अपने अनुभव से, जब जनता और सरकार के बीच भरोसे की कमी होती है, तो विदेशी निवेश भी प्रभावित होता है, जिसका सीधा असर देश की आर्थिक प्रगति पर पड़ता है।

आर्थिक विकास पर राजनीतिक अस्थिरता का प्रभाव

मुझे ऐसा लगता है कि जॉर्जिया की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता उसके आर्थिक विकास के लिए एक बड़ी चुनौती बन रही है। जब देश में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हों, और सरकार पर धांधली के आरोप लग रहे हों, तो विदेशी निवेशक वहां पैसा लगाने से कतराते हैं। मुझे याद है कि जॉर्जिया का व्यापारिक संबंध रूस के साथ काफी मजबूत है, लेकिन पश्चिमी देशों के साथ उसके संबंधों में तनाव आने से, मुझे लगता है कि यह संतुलन बिगड़ सकता है। यूरोपियन यूनियन ने जॉर्जिया को कई तरह की सहायता प्रदान की है, लेकिन अगर जॉर्जिया सरकार पश्चिमी मूल्यों से दूर जाती है, तो यह सहायता भी प्रभावित हो सकती है। मेरा मानना है कि एक स्थिर राजनीतिक माहौल ही आर्थिक समृद्धि की नींव रखता है। मुझे लगता है कि जॉर्जिया के पास एक मजबूत पर्यटन क्षेत्र और वाइन उद्योग है, लेकिन राजनीतिक उथल-पुथल इन क्षेत्रों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। मुझे आशा है कि जॉर्जियाई नेता इस बात को समझेंगे और आर्थिक स्थिरता के लिए राजनीतिक सहमति बनाने की दिशा में काम करेंगे।

यूरोपीय संघ की ओर बढ़ती जनता की आकांक्षाएँ

मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि जॉर्जिया के लोगों की यूरोपीय संघ में शामिल होने की इच्छा बहुत गहरी है, और यह सिर्फ एक सरकारी नीति नहीं, बल्कि एक जन आंदोलन है। मुझे याद है कि 89% जॉर्जियाई नागरिक यूरोपीय संघ में शामिल होने का समर्थन करते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि यह दिखाता है कि वे एक यूरोपीय भविष्य की कल्पना करते हैं, जहां लोकतंत्र, कानून का शासन और आर्थिक अवसर हों। मेरी राय में, सरकार की रूस समर्थक नीतियां और यूरोपीय संघ से बातचीत स्थगित करने का फैसला सीधे तौर पर जनता की इन आकांक्षाओं के खिलाफ है। मुझे लगता है कि यही वजह है कि हजारों लोग सड़कों पर उतरकर सरकार के फैसलों का विरोध कर रहे हैं। यूरोपीय संघ ने भी इस बात पर जोर दिया है कि वह जॉर्जियाई लोगों के साथ खड़ा है, और मुझे लगता है कि यह उनकी उम्मीदों को और मजबूत करता है। मुझे आशा है कि जॉर्जिया की सरकार लोगों की इन भावनाओं को समझेगी और एक ऐसा रास्ता चुनेगी जो देश को एक उज्जवल और अधिक यूरोपीय भविष्य की ओर ले जाए।

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अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जॉर्जिया की स्थिति

मुझे हमेशा से लगता है कि जॉर्जिया एक ऐसा देश है जो भू-राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यह रूस और पश्चिम के बीच एक तरह से अग्रिम पंक्ति पर खड़ा है, और मुझे लगता है कि यही इसकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति को जटिल बनाता है। मैंने देखा है कि कैसे संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों ने जॉर्जिया में एक स्वतंत्र राज्य के निर्माण में भारी निवेश किया है, क्योंकि इस क्षेत्र में उनका रणनीतिक हित है। मुझे लगता है कि रूस भी इस बात को बखूबी जानता है कि जो जॉर्जिया को नियंत्रित करता है, वह काकेशस को नियंत्रित करता है। यही वजह है कि जॉर्जिया की हर राजनीतिक चाल पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की पैनी नज़र रहती है। मौजूदा राजनीतिक संकट और सरकार की रूस समर्थक नीतियों को लेकर पश्चिम में गहरी चिंता है। मुझे याद है कि यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ने जॉर्जिया के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के बावजूद, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर अपनी आवाज़ उठाई है।

पश्चिम और रूस के बीच संतुलन की चुनौती

मुझे ऐसा लगता है कि जॉर्जिया के लिए पश्चिम और रूस के बीच संतुलन साधना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है। मुझे याद है कि 2008 के युद्ध के बाद से रूस ने जॉर्जिया के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर रखा है, जिससे देश के लिए रूस पर भरोसा करना मुश्किल हो गया है। लेकिन, इसके साथ ही, जॉर्जिया की अर्थव्यवस्था रूस के साथ व्यापार पर भी काफी हद तक निर्भर करती है। मेरी राय में, सरकार की हालिया नीतियां, खासकर ‘विदेशी एजेंट’ कानून और यूरोपीय संघ में शामिल होने की बातचीत को स्थगित करना, मुझे लगता है कि यह संतुलन पश्चिम से दूर और रूस के करीब ले जा रहा है। मुझे लगता है कि पश्चिमी देश, जो यूक्रेन को सैन्य रूप से रूस के हाथों गिरने से बचाने के लिए बहुत प्रयास कर रहे हैं, वे जॉर्जिया में “छद्म सरकार” के माध्यम से रूस के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। यह सब देखकर मुझे लगता है कि जॉर्जिया का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस नाजुक भू-राजनीतिक स्थिति को कैसे संभालता है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और संभावित परिणाम

मैंने देखा है कि जॉर्जिया के मौजूदा राजनीतिक संकट पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की कड़ी नज़र है। मुझे याद है कि यूरोपीय संसद ने जॉर्जिया की सरकार को चेतावनी दी है कि यदि वह अपना “सत्तावादी रास्ता” नहीं छोड़ती है, तो उसे यूरोपीय संघ में शामिल नहीं किया जा सकता है। मुझे ऐसा लगता है कि यह एक बहुत स्पष्ट संदेश है कि जॉर्जिया को अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना होगा। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी जॉर्जियन ड्रीम पार्टी के संस्थापक बिदजिना इवानिश्विली पर प्रतिबंध लगाए हैं, जो दिखाता है कि पश्चिम इस स्थिति को कितनी गंभीरता से ले रहा है। मेरा मानना है कि अगर जॉर्जिया अपनी मौजूदा नीतियों पर कायम रहता है, तो उसे न केवल यूरोपीय संघ की सदस्यता से वंचित होना पड़ सकता है, बल्कि उसे अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ सकता है। मुझे लगता है कि ये परिणाम जॉर्जियाई अर्थव्यवस्था और आम लोगों के जीवन पर गहरा असर डालेंगे, और मुझे उम्मीद है कि जॉर्जियाई नेता इन संभावित परिणामों को ध्यान में रखेंगे।

मुद्दा सत्ताधारी दल का रुख विपक्ष/जनता का रुख
यूरोपीय संघ सदस्यता 2028 तक बातचीत स्थगित, संतुलनवादी नीति तत्काल सदस्यता और पश्चिमी एकीकरण की तीव्र इच्छा
“विदेशी एजेंट” कानून पारदर्शिता के लिए आवश्यक, विदेशी प्रभाव को नियंत्रित करना रूसी कानून की नकल, लोकतंत्र विरोधी, नागरिक समाज का दमन
अक्टूबर 2024 चुनाव जीत का दावा, सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ना धांधली का आरोप, नए चुनाव और राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग
रूस के साथ संबंध आर्थिक संबंधों को मजबूत करना, पश्चिम के साथ तनाव अविश्वास, रूस के प्रभाव से मुक्ति, पश्चिमी गठबंधन

글 को समाप्त करते हुए

दोस्तों, जॉर्जिया के राजनीतिक परिदृश्य को समझना किसी पहेली को सुलझाने जैसा है। मैंने खुद देखा है कि कैसे यूरोपीय संघ में शामिल होने की उनकी प्रबल इच्छा और रूस के साथ उनके ऐतिहासिक तनावपूर्ण रिश्ते ने देश को एक चौराहे पर खड़ा कर दिया है। आंतरिक राजनीतिक उठापटक, चुनावी विवाद और ‘विदेशी एजेंट’ कानून जैसे मुद्दे न केवल उनके लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी स्थिति को भी प्रभावित कर रहे हैं। मुझे ऐसा लगता है कि जॉर्जिया के लोगों को एक ऐसे भविष्य की तलाश है जहाँ स्थिरता, समृद्धि और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान हो। उम्मीद है, उनके नेता ऐसे रास्ते पर चलेंगे जो इस खूबसूरत देश को एक उज्जवल कल की ओर ले जाए।

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जानने योग्य उपयोगी जानकारी

1. जॉर्जिया को दिसंबर 2023 में यूरोपीय संघ का उम्मीदवार दर्जा मिला था, लेकिन हाल की नीतियों ने यूरोपीय एकीकरण की प्रक्रिया को धीमा कर दिया है, जिससे जनता में काफी निराशा है।

2. ‘विदेशी एजेंट’ कानून ने जॉर्जिया में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है। यह कानून उन नागरिक समाज संगठनों को प्रभावित करता है जो विदेशों से फंडिंग प्राप्त करते हैं और इसे रूस के समान कानून की नकल माना जाता है।

3. अक्टूबर 2024 के संसदीय चुनावों पर धांधली के आरोप लगे हैं, जिससे देश में गहरा राजनीतिक संकट और विभाजन पैदा हो गया है, क्योंकि विपक्ष ने परिणामों को मानने से इनकार कर दिया है।

4. जॉर्जिया और रूस के बीच 2008 के युद्ध के बाद से तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं, जिसमें रूस ने अबकाज़िया और दक्षिण ओसेशिया को स्वतंत्र राज्यों के रूप में मान्यता दी है, जिसे जॉर्जिया अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।

5. जॉर्जियाई जनता का भारी बहुमत (लगभग 89%) यूरोपीय संघ में शामिल होने का समर्थन करता है, जो सरकार की मौजूदा रूस समर्थक और पश्चिमी एकीकरण को धीमा करने वाली नीतियों के विपरीत है।

महत्वपूर्ण बातों का सारांश

जॉर्जिया एक ऐसे भू-राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है जहाँ आंतरिक राजनीतिक विभाजन, यूरोपीय संघ के प्रति उनकी गहरी आकांक्षाएँ और रूस के साथ उनके जटिल संबंध उसके भविष्य की दिशा तय कर रहे हैं। हालिया चुनावी उठापटक, “विदेशी एजेंट” कानून और लोकतंत्र पर बढ़ते दबाव ने देश को एक नाजुक स्थिति में डाल दिया है। यह सब देखकर मुझे लगता है कि जॉर्जिया के नेताओं को अपने नागरिकों की आकांक्षाओं को समझना होगा और एक ऐसे रास्ते पर चलना होगा जो लोकतंत्र, मानवाधिकारों और एक स्थिर आर्थिक भविष्य को सुनिश्चित करे।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖

प्र: जॉर्जिया यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए क्या प्रयास कर रहा है और इसमें क्या चुनौतियां हैं?

उ: अरे वाह! यह तो एक ऐसा सवाल है जो जॉर्जिया के हर नागरिक के दिल में बसा है, और मैं खुद भी इसे लेकर काफी उत्साहित रहता हूँ। जॉर्जिया का यूरोपीय संघ (EU) में शामिल होने का सपना दशकों पुराना है, और वे इसे पूरा करने के लिए जी-जान से कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में, यूरोपीय आयोग ने जॉर्जिया को उम्मीदवार का दर्जा देने की सिफारिश की थी, जो उनके लिए एक बहुत बड़ी जीत थी, मानो सालों की मेहनत रंग लाई हो!
लेकिन दोस्तों, यह सफर इतना आसान नहीं है। इसमें कई पहाड़ जैसी चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती है घरेलू सुधारों को लागू करना, खासकर न्यायपालिका और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में। मैंने खुद देखा है कि जब किसी देश में पारदर्शिता और सुशासन की कमी होती है, तो विदेशी निवेश और अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलना मुश्किल हो जाता है। जॉर्जिया को अपने लोकतंत्र को और मजबूत करना होगा, मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करना होगा, और एक स्थिर राजनीतिक माहौल बनाना होगा। इसके अलावा, पड़ोसी रूस के साथ उनके तनावपूर्ण संबंध भी यूरोपीय संघ में उनके एकीकरण को जटिल बनाते हैं। यूरोपीय संघ ऐसे सदस्य देशों को पसंद नहीं करता जिनके पड़ोसी देशों के साथ गंभीर भू-राजनीतिक मुद्दे हों। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि अगर जॉर्जिया के लोग और उनकी सरकार एकजुट होकर काम करें, तो वे इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। यह सिर्फ कागजी कार्यवाही नहीं, बल्कि जॉर्जिया के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की बात है, और मुझे लगता है कि वे इसके लिए तैयार हैं।

प्र: रूस के साथ जॉर्जिया के संबंध इतने तनावपूर्ण क्यों हैं और इसका जॉर्जिया की राजनीति पर क्या असर पड़ता है?

उ: यह सवाल मेरे दिल के बहुत करीब है, क्योंकि जब मैं जॉर्जिया के इतिहास के बारे में पढ़ता हूँ, तो रूस के साथ उनके रिश्ते की गहरी छाप दिखती है। सच कहूँ तो, रूस और जॉर्जिया के बीच का रिश्ता हमेशा से ही खट्टे-मीठे और अक्सर तनावपूर्ण रहा है। 2008 के युद्ध को कौन भूल सकता है, जब रूस ने जॉर्जिया के कुछ क्षेत्रों, जैसे अबकाज़िया और दक्षिण ओसेशिया को मान्यता दे दी थी?
यह जॉर्जिया के लिए एक गहरा घाव था, और तब से लेकर आज तक, इन क्षेत्रों को रूस का समर्थन मिलता है, जबकि जॉर्जिया इन्हें अपनी धरती का अभिन्न अंग मानता है। आप कल्पना कीजिए, जब आपके अपने ही घर के कुछ हिस्से पर कोई दूसरा अपना दावा ठोके, तो कैसा महसूस होगा!
इस निरंतर तनाव का जॉर्जिया की राजनीति पर बहुत गहरा असर पड़ता है। देश की सुरक्षा नीति, विदेश नीति और यहाँ तक कि आंतरिक राजनीतिक बहस भी रूस के साथ उनके संबंधों से प्रभावित होती है। जॉर्जिया लगातार पश्चिमी देशों, खासकर यूरोपीय संघ और नाटो की तरफ देख रहा है ताकि रूस के प्रभाव को कम कर सके और अपनी संप्रभुता को मजबूत कर सके। इस वजह से देश के अंदर भी अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराएं पनपती हैं – कुछ लोग रूस के साथ बेहतर संबंध बनाने की वकालत करते हैं, तो वहीं अधिकांश लोग पश्चिमी देशों के साथ गठजोड़ को प्राथमिकता देते हैं। यह एक ऐसा द्वंद्व है जो जॉर्जिया की राजनीति की हर परत में बुना हुआ है, और मेरा अनुभव है कि जब तक यह मुद्दा सुलझता नहीं, तब तक जॉर्जिया की स्थिरता एक चुनौती बनी रहेगी।

प्र: जॉर्जिया की घरेलू राजनीति में इस समय कौन से बड़े मुद्दे चल रहे हैं और वहां की जनता इस पर क्या प्रतिक्रिया दे रही है?

उ: जॉर्जिया की घरेलू राजनीति भी किसी नाटक से कम नहीं है, दोस्तों! हाल के दिनों में, कई ऐसे मुद्दे सामने आए हैं जिन्होंने पूरे देश में हलचल मचा दी है। सबसे ताजा और सबसे विवादास्पद मुद्दा “विदेशी एजेंट कानून” था, जिसके तहत उन गैर-सरकारी संगठनों और मीडिया आउटलेट्स को विदेशी एजेंट घोषित किया जाना था जिन्हें विदेशों से 20% से अधिक धन मिलता है। मुझे याद है जब यह कानून प्रस्तावित हुआ था, तो जॉर्जिया की सड़कों पर हज़ारों लोग उतर आए थे, खासकर युवा!
वे इसे रूसी शैली का कानून मान रहे थे, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र को दबाने वाला था। लोगों का गुस्सा इतना जबरदस्त था कि सरकार को आखिर में इस कानून को वापस लेना पड़ा। यह दिखाता है कि जॉर्जियाई जनता कितनी जागरूक और अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार है। इसके अलावा, चुनाव सुधार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, और भ्रष्टाचार अभी भी बड़े घरेलू मुद्दे बने हुए हैं। विपक्षी दल अक्सर सरकार पर सत्ता के दुरुपयोग और लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हैं, और इन आरोपों पर देश में गरमा-गरम बहस होती है। मैंने देखा है कि जॉर्जिया में राजनीतिक ध्रुवीकरण काफी ज्यादा है, जिससे सरकार के लिए बड़े फैसले लेना मुश्किल हो जाता है। जनता, खास तौर पर युवा पीढ़ी, एक पारदर्शी और जवाबदेह सरकार चाहती है, जो उनके भविष्य को सुरक्षित कर सके और उन्हें यूरोपीय संघ के करीब ले जा सके। उनकी यह सक्रिय भागीदारी और विरोध प्रदर्शन, मुझे लगता है, जॉर्जिया के लोकतंत्र की जीवंतता का एक महत्वपूर्ण संकेत है। वे सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि अपने देश के भविष्य के निर्माता हैं।

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